इन फूलों का होता है औषधियां बनाने में इस्तेमाल, किसान ऐसे कर सकते हैं मोटी कमाई

रबी की फसलों की कटाई का दौर चल रहा है। कुछ ही दिनों बाद खेत खाली हो जाएंगे। इस बीच किसान ऐसी फसलों का चयन कर सकते हैं जो कम समय में ज्यादा कमाई दे सकें। 

इस कड़ी में हम आपको ऐसे फूल के बारे में बताने जा रह हैं जिसकी खेती करके किसान कम समय में मोटी कमाई कर सकते हैं। 

फूलों की खेती की तरफ बढ़ते हुए रुझान को देखते हुए कई राज्यों की सरकारें फूलों की खेती के लिए किसानों को सब्सिडी भी मुहैया करवाती हैं। 

गर्मियों में बचे हुए समय में किसान भाई ग्लेडियोलस के फूलों की खेती बेहद आसानी से कर सकते हैं। यह फूल औषधीय गुणों से युक्त होता है, इसलिए इसका इस्तेमाल औषधियां बनाने में किया जाता है। 

इसके साथ ही ग्लेडियोलस के फूलों का इस्तेमाल कट फ्लॉवर्स, क्यारियों, बॉर्डर, बागों और गमलों की शोभा बढ़ाने के लिए किया जाता है। बाजार में इन दिनों इस फूल की जबरदस्त मांग है।

बाजार में उपलब्ध ग्लेडियोलस की उन्नतशील प्रजातियां

वैसे तो ग्लेडियोलस की 10 हजार से ज्यादा प्रजातियां पाई जाती हैं, लेकिन कुछ प्रजातियां मशहूर हैं, जिनकी खेती भारत के उत्तर प्रदेश के मैदानी इलाकों में की जाती हैं। 

इनमें से स्नो क्वीन, सिल्विया, एपिस ब्लासमें , बिग्स ग्लोरी, टेबलर, जैक्सन लिले, गोल्ड बिस्मिल, रोज स्पाइटर, कोशकार, लिंके न डे, पैट्रीसिया, जार्ज मैसूर, पेंटर पियर्स, किंग कीपर्स, किलोमिंगो, क्वीन, अग्नि, रेखा, पूसा सुहागिन, नजराना, आरती, अप्सरा, सोभा, सपना एवं पूनमें जैसी प्रजातियां बड़ी मात्रा में उपयोग में लाई जाती हैं।

भूमि की तैयारी और बुवाई

भूमि को तैयार करते वक्त मिट्टी की जांच अवश्य करवा लें। ग्लेडियोलस की खेती के लिए मिट्टी का पीएच मान 5.5 से 6.5 के मध्य होना चाहिए। साथ ही ऐसी भूमि का चुनाव करना चाहिए जहां सूरज की पर्याप्त रोशनी रहती हो। साथ पानी निकास की उचित व्यवस्था हो। 

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ग्लेडियोलस की खेती के लिए जमीन की 2 से 3 बार अच्छे से जुताई करना चाहिए। इसके बाद मिट्टी को भुरभुरा होने तक छोड़ दें। ग्लेडियोलस की फसल कंदों के रूप में बोई जाती है।

जिसे अप्रैल तथा अक्टूबर में बोया जा सकता है। एक हेक्टेयर भूमि पर बुवाई के लिए लगभग 2 लाख कंदों की जरूरत होती है। कंदों की बुवाई कतार में करनी चाहिए। कंद को 5 सेंटीमीटर की गहराई पर लगाना चाहिए, साथ ही पौधे से पौधे की दूरी 20 सेंटीमीटर रहनी चाहिए।

सिंचाई का प्रबंधन

खेत में पहली सिंचाई घनकंदों के अंकुरण के बाद करनी चाहिए। इसके बाद गर्मियों में 5-6 के बाद सिंचाई करते रहें। यदि यह फसल आपने सर्दियों के मौसम में बोई है तो सिंचाई 10-12 दिन के अंतराल में करें। 

सिंचाई के वक्त ध्यान रखें की पानी खेत में जमा न होने पाए। साथ ही जब फसल पीली हो जाए तब सिंचाई बंद कर दें।

फूलों के कटाई का समय

फूलों की कटाई पूरी तरह से ग्लेडियोलस की किस्मों पर निर्भर करती है। अगेती किस्मों में कंदों की बुवाई के लगभग 60-65 दिन बाद कटाई शुरू हो जाती है। 

जबकि मध्य किस्मों 80-85 दिनों बाद तथा पछेती किस्मों में 100-110 दिनों बाद फूलों की कटाई प्रारंभ हो जाती है। 

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बाजार में है ग्लेडियोलस के फूलों की जबरदस्त मांग

चूंकि इन फूलों का उपयोग सजावट के लिए किया जाता है, इसलिए हर समय बाजार में इनकी मांग बनी रहती है। ग्लेडियोलस के फूलों का ज्यादातर उपयोग शादियों और होटलों में सजावट के लिए किया जाता है। 

इसके साथ ही गुलदस्ते बनाने में भी इनका उपयोग किया जाता है। इसलिए किसान भाई इसकी खेती करके फूलों को ऊंचे दामों पर बेंच सकते हैं और बंपर मुनाफा कमा सकते हैं।